महालक्ष्मी के स्वामी भगवान श्री हरि के ग्रंथ विष्णु पुराण में कई ऐसे रहस्य बताए गए हैं, जिनका ध्यान रखने पर सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। इस पुराण में सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक के लिए कुछ सामान्य बातें बताई गई हैं। सामान्यत: इन सभी बातों का ध्यान काफी कम लोग रख पाते हैं, और इसी वजह से उन्हें लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं हो पाती है।
कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां निर्मित होती हैं कि बाथरूम में किया जाना वाला काम (मल-मूत्र त्याग करना) विशेष रूप से पुरुषों को किसी खुले स्थान पर करना पड़ता है। यहां जानिए कि किन स्थानों पर मल-मूत्र त्याग नहीं करना चाहिए और पूरी तरह नग्न होकर कौन-कौन से काम नहीं करना चाहिए.. –
---> विष्णु पुराण के अनुसार किसी वृक्ष की छाया पर, किसी गाय के सामने मूत्र त्याग नहीं करना चाहिए।
---> सूर्य, अग्नि, गुरु के सामने मल-मूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए।
---> वृक्ष, गाय, सूर्य, अग्नि और गुरु सभी पूज्य और पवित्र माने गए हैं, अत: इनके सामने मल-मूत्र का त्याग करने पर दोष लगता है।
---> किसी श्मशान में या कब्रिस्तान में तो भूलकर भी मल-मूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए। इन स्थानों नकारात्मक ऊर्जा अधिक बलशाली रहती है। अत: यहां मूत्र त्याग करने पर ये शक्तियां हावी हो सकती हैं।
---> जिस खेत में जुताई का काम हो गया गया हो उसमें भी मल-मूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए।
---> किसी गौशाला में, बीच रास्ते पर, नदी में, किसी तीर्थ स्थान पर भी मूत्र त्याग नहीं करना चाहिए।
* विष्णु पुराण में बताया गया है कि चतुर्दशी, अष्टमी, अमावस्या, पूर्णिमा और सूर्य संक्राति की तिथियों पर शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए और मांस का भोग नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही इन तिथियों पर विशेष रूप से स्त्री संग भी नहीं करना चाहिए। जो पुरुष इन निषेध तिथियों पर ये तीन काम करते हैं उनके धन और स्वास्थ्य की हानि होती है। ऐसे लोग मृत्यु के बाद विष्ठा और मूत्र से भरे नर्क में जाते हैं।